Human Rights Council: 20 मार्च को जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालय और स्विट्जरलैंड स्थित अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में चीन के स्थायी प्रतिनिधि छन श्य्वी ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 58वें सत्र के देश के मानवाधिकार मुद्दे खंड में भाषण दिया, जिसमें उन्होंने चीन की मानवाधिकार अवधारणाओं पर प्रकाश डाला और मानवाधिकारों के राजनीतिकरण का विरोध किया।
छन श्य्वी ने कहा कि केवल सच्चे बहुपक्षवाद का पालन करके, सही मानवाधिकार अवधारणाओं का पालन करके और रचनात्मक वार्ता और सहयोग करके ही हम मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के उद्देश्य को आगे बढ़ा सकते हैं। उन्होंने बताया कि कुछ देश मानवाधिकारों की आड़ में अन्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करते हैं, दोहरे मापदंड अपनाते हैं, संघर्ष और टकराव पैदा करते हैं तथा एकतरफा प्रतिबंधों का दुरुपयोग करते हैं। वे स्वयं अपने मानवाधिकार उल्लंघनों पर आंखें मूंद लेते हैं और मनमाने ढंग से अन्य देशों में मानवाधिकार स्थिति की आलोचना करते हैं, जिससे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार तंत्र की विश्वसनीयता गंभीर रूप से कम हो जाती है।
छन श्य्वी के अनुसार, चीन हमेशा से लोगों पर केंद्रित मानवाधिकार अवधारणा पर कायम रहा है और लोगों के हितों की रक्षा को अपना मौलिक प्रारंभिक बिंदु और अंतिम बिंदु मानता है। चीन के शिनच्यांग उइगुर स्वायत्त प्रदेश और शीत्सांग (तिब्बत) स्वायत्त प्रदेश समृद्ध और स्थिर हैं, वहां जातीय एकता और धार्मिक सद्भाव है तथा हांगकांग के लोगों को कानून के अनुसार व्यापक अधिकार और स्वतंत्रता प्राप्त है।
छन श्य्वी ने यह भी कहा कि चीन हमेशा सभी देशों के लोगों द्वारा स्वतंत्र रूप से चुने गए मानवाधिकार विकास पथों का सम्मान करता है, और अपने स्वयं के कार्यों के माध्यम से मानव राजनीतिक सभ्यता को समृद्ध और विकसित करने में भी योगदान देता है।
(साभार-चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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